Friday, January 20, 2017

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वर्ना रो पड़ोगे ~ कुँअर बेचैन

Photo Credit : Google

बंद होंठों में छुपा लो
ये हँसी के फूल
वर्ना रो पड़ोगे।


हैं हवा के पास
अनगिन आरियाँ
कटखने तूफान की
तैयारियाँ
कर न देना आँधियों को
रोकने की भूल
वर्ना रो पड़ोगे।


हर नदी पर
अब प्रलय के खेल हैं
हर लहर के ढंग भी
बेमेल हैं
फेंक मत देना नदी पर
निज व्यथा की धूल
वर्ना रो पड़ोगे।


बंद होंठों में छुपा लो
ये हँसी के फूल
वर्ना रो पड़ोगे।

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